ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में जारी रहेगी पूजा, 5 पॉइंट में समझें इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्या कहा अपने आदेश में
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर व्यास जी के तहखाने में पूजा जारी रखने की अनुमति दी. इस तहखाने में पूजा की अनुमति को लेकर हुए फैसले के खिलाफ दायर की गई अपील को जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने खारिज कर दिया है। उन्होंने 15 फरवरी को अपना निर्णय सुरक्षित रखा है। को खारिज कर दी. बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने वाराणसी जिला न्यायाधीश के दोनों निर्णयों के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी.
पहले ही पूजा शुरू हो चुकी है और रोकने का कोई आधार नही हैं: हाईकोर्ट
'इस केस के संपूर्ण रिकॉर्ड को देखने और उसके पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट को वाराणसी के जिला जज द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई विकल्प नहीं मिला.'अपील खारिज करते हुए जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल का बयान, अदालत ने कहा कि (वाराणसी की अदालत के) इन दो आदेशों के खिलाफ दायर अपील में मस्जिद कमेटी अपने मामले को पुष्ट करने और जिला अदालत के आदेश में किसी प्रकार की अवैधता दर्शाने में विफल रही है, इसलिए इस अदालत द्वारा किसी तरह का हस्तक्षेप वांछित नहीं है. जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि उस स्थान पर पहले ही पूजा शुरू हो चुकी है और जारी है इसलिए उसे रोकने का कोई आधार नहीं है.
*ज्ञानवापी पर इलाहाबाद HC के आदेश की मुख्य बातें-*
- 1937 से 1993 तक किसी भी समय इस तहखाने पर मुस्लिम पक्ष का नहीं रहा अधिकार
- हालांकि, हिंदू पक्ष 1551 से ही इस जगह पर कब्जे को सच करने में सफल रहा है.
- बिना किसी लिखित आदेश के राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए तहखाने में 1993 तक चल रही पूजा को रोक रोक दिया
- भारत के आम नागरिक को आर्टिकल 25 धार्मिक आजादी का अधिकार देता है. इस अधिकार को सरकार मनमौजी तरीके से नहीं ले सकती. तहखाने में पूजा अर्चना करते आए व्यास परिवार को सिर्फ मौखिक आदेश के जरिए पूजा अर्चना के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता.
- 31 जनवरी को दिए जिला जज के आदेश पर ये कहते हुए कोर्ट की गरिमा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है कि जज ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन ऐसा आदेश पास किया है. (कोर्ट ने इसे गलत माना)
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